दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए, जैसा अपने साथ चाहते हो" - यही स्वर्णिम नियम (Golden Rule) है। यह सिद्धान्त अधिकांश धर्मों और संस्कृतियों में मौजूद है।